मिथिलाक भोजनक संबंध में बहुत तरहक गप्प निकलि के बाहर आयल परंच किछु एहनो कटु सत्य अछि जकरा स्वीकार करबा में की हर्ज। अदौकाल में केहन की रीति रिवाज छल से त रिसर्च क बिषय थिक आ ओहि संबंध में विद्वजन सभ सँ आग्रह जे ओ सभ अपन विद्वतानुसार कार्य करथि। एतय हम अपन जानकारी क अनुसार किछु कहय चाहब।
गरीबी मे ताकल तरह तरह केर भोजन विकल्प
मिथिलाक किछु क्षेत्र में बहुत गरीबी छल. कारण वेह प्राकृतिक आपदा. कतौ रौदी, कतौ दाही, कतौ जमींदार आदि द्वारा शोषण आ जातिवाद सेहो सभ मिला जुला क देखी त वस्त्रक के कहय भरिपोख भोजन तक सभ के भेटब बड्ड कठिन छलैक।
एहन परिस्थिति में कुअन्न के कहय लोक किछु खा पेट भरबा लेल मजबूर छल। एहि ठाम हम किछु ओहने खाद्य पदार्थक चर्चा करय चाहब –
1. पकुहा : ज्येष्ठ, आषाढ़ में आम खा क लोक यत्र -कुत्र ओकर आंठी फेकि दैत छल, किछु लोक ओकरा बीछि क जमा कए राखैत छल आ सावन भादवक मास में जखन नहि त अन्नक जोगार रहैत छलैक आ नहि त जलावन के तखन ओहि पकुहा के फोरि ओकर छिलकाक उपयोग जलावन आ ओकर बीच में जे बीया रहैत छलैक तकरा कोनो तरहे खेबा योग्य बनबैत छल कारण ओकर स्वाद तीत आ कसाइन होइत छलैक, ओकरा खा कोनहुना अपन पेटक आगि के शांत करैत छल।

2. खोबही : एकटा जंगली घास जे पानिक किनार या परती परल अत्यधिक नमी बला भाग में पाओल जाईत छलैक ओकरा नीचला भाग में “कौन” सँ मिलैत जुलैत भूरा रंगक बीया मोट – मोट फूलनुमा गाँठक रूप में बहुतायत मात्रा में पाओल जाईत छलैक ओकरा काटि झारि के ओकर लाबा, लाई आ खिचड़ी टाइप बना कोनहुना क्षुधा शांत करैत छल आ लाई बेच क दोसरो आवश्यकता क पूर्ति होइत छलैक। जखन की रामदाना जकर लाई अखनो हमरा सभ के उपलब्ध अछि ओ खेत में उजेबा योग्य सोफियाना अनाज में अबैत छल जे सिर्फ उच्चवर्ग के उपलब्ध रहैक।

3. महुआक लट्टा : महुआ एकटा पैघ गाछ में फुलाय बला फूल थिक जे माल जाल के दवाई केर रूप में खुऔल जाईत अछि। पैघ – पैघ गाछ रहबाक कारण ई बहुतायत में पाओल जाईत अछि। एहि सँ देशी शराब सेहो बनाओल जाईत छैक। एकरा बीछि बीछि के लोक सुखा सुखा राखि लैत अछि आ जखन कोनो दोसर भोजनक ओरियाओन नहि भेल त ओकरे भूजि आ नाममात्र कोनो अन्न जेना मकई, जौ, गहूँम या चाऊर दए ओकरा उखरि में कूटि लट्टा जेकाँ बना कोनहुना पेटक ज्वाला शांत करैत छल । आ ओही गाछक फर जकरा गहुआ कहैत छैक ओकरा पेरा ओकर तेलक उपयोग सेहो करैत छल।

4. चिचोर : चर – चाँचर में उगै बला एकटा घास जकरा कोरला पर ओकर जड़ि में फरल ओकर कंद जे बहुत छोट – छोट होइत छैक मुदा मिठगर आ दूध जेकाँ सुअदगर होइत छैक। ई आहार प्रायः माल-जाल चरौनिहार बच्चा सब आ घास कटनिहार सभ के छैक कारण छोट रहलाक कारण ई पेटभारा नहि भ जलखै क कमी पूरा कए देैत छैक।
5. भेंट, सारूख, करहर, बिच्ची : पोखरि – झाँखरि, डबरा व अन्य जल जमाव बला एहन क्षेत्र जतय सदति पानि रहैत अछि, ओहन स्थान में उगय बला फूल “मलकोका” जकरा भेंटक फूल सेहो कहल जाईत अछि ई कमलक प्रजाति के पंक में उगै बला फूल थिक । मुदा ई दूध जेकाँ उज्जर होईत अछि। फूल झरलाक बाद ओकर जे फर होइत छैक ओकरा ” भेंट” कहल जाईत छैक आ एकर जड़ि में करहर आ बिच्ची फरैत छैक।

एकर फूल सँ रंगविरंगक तरकारी आ तरुआ बनबैत अछि, आ भेंटक दाना के उसिन के भात वा लप्सी बनबैत अछि, ओकर लाबा सेहो खोबही या रामदाना जेकाँ होइत छैक ओकर लाय सेहो बनबैत अछि। करहर बिच्ची सेहो उसिन क अपन पेट भरैत अछि। सारुख सेहो अही प्रजाति के एकटा कन्द छैक ओकरो उसिन क खाईत अछि लोक।
कमलक फूल झरलाक बाद ओकर जे फर छैक ओकरो लोक खेबा में परहेज नहि करैत अछि, आखिर पेट त भरबाक छैक ने। सदति जल भरावक कारण अन्न त उपजैत नहि छैक त जे भेटल डोका,काॅकोर, माछ, काछु इत्यादि सँ लोक अपन क्षुधा शांत करैत अछि।
6. मरुआ : मरुआ सेहो पैतराखन कहाइत अछि कारण उच्चवर्ग व रसूखदार एकरा मात्र बोनिहार लेल उपजबैत छलाह , आ मरुआ क बोनि दैत छलाह। गरीब गुरबा के जखन किछु नहि जुरैत छलैक खेबा लेल त ओ मालिकक शरण में अबैत छल कर्ज रूपें अनाज लेबय तखन ओकरा आगू पहिनहि झाड़ल गेल मरूआक कॉटू देल जाईत छलैक जकरा डेंगेला सँ ओहि में सँ किछु मरुआ झरि जाइत छलैक जे मेहनत सँ झाड़लाक बादो ओकरा सबैया या डेरहा भाव में कर्ज भेटैत छलैक

7. साग पात : साग पात सेहो गरीबक जीबन छलैक परिस्थिति वश लोक जंगली साग जेना – फुटिया, ठढ़िया, गेन्हारी, पटुआ, नोनी, सरहाँची, करमी, गद्धपूरनि, बथुआ आदि उसिनि अपन पेट भरैत छल।