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neha jha

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पएर मे पाजेब पहिरने उतरल यौवन
धरा पर जेना जड़ीदार चादर शोभित,
समस्त गाछ,वृक्ष पर टेहुनिया दैत
नव शिशु पल्लव भेल सौंसे शोभित।
जीर्ण पात त्याग,भेल शिशिरक अंत,
आएल देखू कुसमाकर,ऋतुराज बसंत।
मधुर सुगंध छिड़ियबैत आमक गाछ पर
तरुण मोती सन चमकैत महुआ मजरल,
खेत-पथार गदराएल गहुँमक बालि सँ
नव कनियाँ सन जड़ी बला घोघ ओढ़ाएल।
मंदिर आ चौबट्टी पर फाग गबैत संत,
आएल देखू कुसमाकर,ऋतुराज बसंत।
सड़िसोक पीयर स्वर्ण आभूषण सँ समस्त
लह-लह करैत खेत खरिहान अछि छाड़ल,
कोयली द’ रहल तान आ रंग बिरंगक पुष्पक
श्रृंगार केने तरु सँ गमकैत बसात बहराएल।
जग सँ नहि हुए ई ललित हुलासक अंत,
आएल देखू कुसमाकर,ऋतुराज बसंत।
मँगलहुँ भगवान सँ जे ,पूर्ण मोनक गप एना भ’ जाइ,
साटि लिअ माँ करेज सँ आ हम फेर सँ नेना भ’ जाइ।
जिम्मेवारीक मोटा उघि -उघि क’ बड़ थाकि गेल छी,
साफ निश्छल सन माँक आँखिक अएना भ’ जाइ।
सभटा सुखक पेटारी जिनगी मे अनसोहाँत लागि रहल,
माँक कोरा बिछओना आ आँचरि ओढ़ना भ’ जाइ।
 भुखाएल-पियासल सन छी जेना बरख भरि सँ हम ,
 थारी मे माँक हाथक,दालियो भात सन्ना भ’ जाइ।
भरल अछि नीक आ बेजाए गप्प सँ हृदयक संदूक,
फोलि दी ताला ,आइ मोन हल्लुक तराना भ’ जाइ।

 

बुद्धि, विवेक,ममताक अहाँ छी गागर,
दुःखहारिणि माता बनू हम अहींक चाकर।
प्रेम सँ अपन सींचू हे माँ,
जीवनदात्री माँ ,अहाँ छी दयाक सागर।

संपूर्ण जगत केर पालनहार अहाँ छी,
पापिक करैत संहार अहाँ छी।
अक्षय जल बरसाउ हे माँ भवानी,
सृष्टि रक्षाक अवतार अहाँ छी।

नमन माँ,अहाँ छी जीवनक आधार,
पार लगबैत छी अथाह समुद्र रुपी ई संसार।
हृदयतल सँ जे भक्ति करय अहाँकेँ,
बुझि जाय ओ संपूर्ण जिनगीक सार।

आउ दाई माई सभ एकटा गप्प सुनाबी ,
तिरपित बाबुक बरियाति केँ मजेदार गप्प सुनाबी।

विमल बाबु जे गेलाह बरियाति ,
ओ प्रचंड जाड़ मे बन्हने गाँती।

देने गेलखिन दसो कप चाह पर चाह,
आंखि गुरैर एकटा लोक ताकय लगलन्हि,
लगलै नहि ओकरा कोनो थाह।

फेर पड़ल एगारह रंगक अचार भोजक पात पर,
नून, चटनी आ नजर परलन्हि गेन्हारी साग पर।

तहन पड़ल पुरी, डलना, भुजिया, भाटा-अदौड़ी,
रायता, रामरुचि, खमहाउरक तरुआ, पापड़, चरौड़ी।

एलै तहन दही, रसगुल्ला, कालाजामुनक बारी,
उपर सँ ध’ क’ देलखिन चमचम आ सकरौड़ी।

तिरपित बाबु झट द’ खा पत्ता क’ देलखिन चिक्कन,
ताकि अच्चके परसनिहार पुछलकन्हि, बनल छलै ना भाइ सभ निम्मन।

थैइ-थैइ भ’ गेलै यौ, बजलाह तिरपित बाबु,
पान सुपारी लय विदा भेलाह आगुए आगु।।

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