कक्का प्रणाम!
अहाँ अपना घरक बेटी-पुतोहू केर श्रम कें सोझे स्तरहीन घोषित करैत छी। नीक गप। अहाँ कहैत छी जे प्रकाशक सभ आँखि मूनी अधोगामी रचना सब छापि दैत छथि। बेश! महत्वपूर्ण अछि जे अहाँक ई विपद्य विचार ओहि अखबार मे प्रकाशित भेल अछि जे किछुए दिन पहिने अपन सम्पादकीय पृष्ठ पर एकटा स्वनामधन्य लेखकक लेखनीसँ एहि बातक घोषणा कएने छल जे मिथिलाक समाज स्वाभाविक रूपें सामंती, स्त्री विरोधी आ दलित विरोधी रहल अछि। वएह अखबार अहाँक एहि विचार पर मोहर लगा रहल अछि जे मैथिलीक सभ नवलेखिका अकर्मके छथि। ने त ओहि सामंती घोषणा बला लेख केर प्रतिपक्षमे कोनो लेख हमरा एहि अखबारमे आइ धरि भेटल आ ने अहाँक विपद्य विचारक समानान्तर कोनो महिलाक पक्ष देखबाक भेटल।
हमर जिज्ञासा अछि जे जतेक प्रश्न सभ उठाओल गेल ‘आजुक स्त्री लेखन’ पर, ताहिमे कोन एहन प्रश्न अछि जाहिसँ मैथिली साहित्यक नवतुरिया लेखन सामान्यत: ऊपर अछि? सभटा पुरुष लेखक सभ की ओहि प्रश्न सबहक परिधि सँ दूर छथि? कोनो गणितीय आधार अछि ई कहबाक जे ‘अधोगामी’ हेबाक ई प्रवृत्ति स्त्री लोकनिक बीच बेशी अछि पुरुख रचनाकार लोकनिक बनिस्पत?
आ.. मैथिलिए टा किएक, कोन भाषा-साहित्य एहन अछि जाहिमे नीक-बजाए नहि। कोन भाषा-साहित्य एहन अछि जाहिमे श्रेष्ठ आ हीन सभ तरहक साहित्य प्रकाशक लोकनिक छापि नहि रहलाह आ कि स्तरहीन रचना सभ मंच-मचान-पुरस्कार केर जोड़-तोड़मे लिप्त नहि रहल अछि। एकरो कोनो तुलनात्मक अध्ययन भेल अछि की? अंग्रेजीक सभ रचनाकार इलियट आ शेक्सपीयर केर बराबर छथि की? हिंदी मे सभ दिनकरे-निराला भ गेल छथि? मैथिलीक सभ पुरुख लेखक ज्योतिरीश्वर आ विद्यापति सँ प्रतियोगिता क रहल छथि की? दिनकर-निरालाक समकक्ष जे सभ पुरखा छलाह हमरा सबहक हुनको सँ आजुक पुरुख लेखक लोकनि कोनो प्रतियोगिता मे छथि की?
एकटा गप इहो जे ‘अधोगामी’ आ ‘स्तरहीन’ हेबाक मानक की? व्याकरण? वा ओ भाषा जे पढाबय बचैत रहला एहि नवतुरिया लेखिका लोकनिक बाप-पित्ती? वा ओ राजनीतिक-दार्शनिक चिंतन जे एहि लेखिका सबहक माए-पितियाइन धरि पहुँचब कल्पनातीत रहल? वा ओ मानसकिता जे ‘कनभेंट’ मे नहि पढ़इ चलते मिथिलाक धी-बेटी मे नहि पनपि सकल? दू-चारि वा दस-बीस मानक जं तय कइये ली त की ‘श्रेष्ठता’ वा ‘हीनता’ सार्वत्रिक सत्य भ गेल?
जखन अहाँ कहैत छी जे पुरस्कार आ मंच मचान जोगाड़े से भेटैत छैक त की ई बुझल जाए जे महिला लोकनिक मंच-मचान आ पुरस्कार लेल पहिल आ अंतिम शर्त जोगाड़े टा थिक। पछिला बरख चेतना समितिक दू गोट मुख्य सम्मान आ दू गोट ताम्रपत्र महिला रचनाकार/गायिका कें समर्पित कएल गेल छल।साल 2021 मे महिला रचनाकार कम सँ कम 20 गोट मैथिली पोथी बहराएल छल। अहाँक वक्तव्य केर आधार पर की ई बुझल जाए जे ई सभटा उपलब्धि जोगाड़े टा सँ भेल। आ की अहाँ ई दावा सँ कहि सकैत छी जे पुरुख लोकनिक सभ मंच-मचान-पुरस्कार जोगाड़-रहित छनि। एहने प्रश्न श्रीधरम जी आ रोमिषा केने छलथि मान्य रचनाकार रमण कुमार सिंह जीक ओहि आलेख पर जकरा अपने उद्धृत केलहुँ। रमण कक्का अपन अगिला आलेख मे स्पष्ट केलथि जे नव पीढ़ीक महिला लेखन पर लिखल गेल हुनक गप सब पुरुख लेखन पर सेहो लागू होइत अछि। सन्दर्भ धरि मे ई सेलेक्टिवज्म कोना। एहि स्पष्टीकरणक लगभग हफ्ता भरि बाद अहाँक लेख आबैत अछि, महिलाक प्रति वएह पूर्वाग्रहक सङ्ग, आ फेर ओ हू-ब-हू छपि जाइत अछि अखबार मे।
जज बनब सहज अछि जखन निर्णय अनका पर देबाक होइ। ‘स्त्री’ आन अछि अहाँ लेल, तें अहाँ सहज निर्णय क सकैत छी। निवेदन एतबहि जे कखनो मैथिली मे दिनानुदिन छपैत-बहराइत भइया-बउआ-कक्का सबहक रचना सबहक सेहो छिद्रान्वेषण ओहि मानक आ ओहि मानस सङ्ग करब जाहि मनोस्थितिमे सभ मिथिलानीक लेखन एकहि हांकमे नकारल अछि। आशा अछि जे अहाँक एहन कोनो ईमानदार पोस्ट भेटत आ हमरा सभकेँ ई कहय पड़त जे अहाँ लेल हम सभ आन नहि छी, अहाँ स्वभावतः एहिना लिखैत छी।
सादर
स्वाती शाकम्भरी