मीना कुकुर सबके शोर पारति, मोरी लगमे टोकना भरि भात-दालि आ सब्जी उझिल देखीन। चारि-पाॅंच टा कुकुर आबिकऽ नांगरि हिलबति चभर-चभर खाय लागल।
तखनहि मीना के आंगन में पितिया साऊस प्रवेश केलखीन आ बजलीह, “यांये कनियाॅं एतेक रान्हवाक कोनजरूरत छल, अन्नक एतेकबर्बादी”!
सौराष्ट्रसभा सऽ पाहुन आबऽ वाला छलखीन। विवाह ठीक भऽ गेलन्हि ताहि द्वारे सभा गाछिये सऽ वोस बचलि गेलाह। हुनके सबहक खाना छल”।
खबासिनी के दऽ दितियै”। काकीक बात सुनि मीना बजलीह”काकी खबासिनी तऽ दस घरमे काज कय दस चीज पाबैत अछि, कुकुर कतऽ नौकरी करतैक”?