परिधि (नियमित स्तम्भ)

भनसाघर पुन: औषधालय बनल

घोर, घुप्प, स्याह, कारी, विकराल समय, हाथ में कोरोना रूपी कालक पाश नेने नगर, शहर, गाम, चौक-चौराहा सबठाम चहल क़दमी कs रहल अछि आ लोकक प्राण हरण कs रहल अछि। समय कतेक विपरीत भs गेल अछि , कतेक निष्ठुर।  जी-जान लोक कें हेरायले रहति अछि जे कखनि कि हयत से नहि जानि। सदिखन हँसी-खुशी सँ रहय बला लोकक मुखमंडल सँ हँसी कोसो दूर भेल अछि। कोनो अप्पन कें संग छुटय कें भय आ दर्द पसरल अछि चहुँ ओर।
 परिस्थिति चाहे कतबो भयावह होई, नारी शक्ति सदैव धैर्य आ ढ़ृढ़ताक संग अपन कर्तव्य के निर्वहन करय छथि। अखनो, एहनो विकट स्थिति में अपन मिथिलानी, साहस कें संग अपन परिवारक रक्षा हेतु ढाल बनल छथि। मिथिलानी भनसाघरक एक-एक मसाला कें हथियार बना टुटि पड़ल छथि कोरोना पर। ओकर पाश कें खंड-खंड करवाक हेतु तत्पर छथि।  शनै: शनै: सही, मुदा विजय प्राप्त कs रहल छथि। अपन भनसाघरक नींव कें आओर सशक्त कs रहल छथि।
अपन मिथिलानी पाश्चात्य संस्कृति कें परित्याग कय अपन पुरातन संस्कृति, आयुर्वेद कें शरण में छथि। आब चाहक स्थान सेहो काढ़ा लs लेने अछि। आदि, लौंग, ईलाईची, दालचीनी, जे गरम मस्सला बनि कटहर आ माऊसक तीमन कें शोभा बढ़बैत छल, आब मिथिलानी एकर काढ़ा सँ अपन परिजन कें रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा रहल छथि।  जमाईन सन मसाला भनसाघरक कोना में पड़ल रहति छल, अपचे में यादि करैत छल लोक, आई संजीवनी प्रतीत होईत अछि। आई भनसाघर पुन: औषधालय बनल अछि। हरदि बला दुध लुप्तप्राय छल, गोटैके घर में बनैत छल, आब पुन: प्रत्येक घर में बनैत अछि आ लोक सेवन कs रहल छथि। कोरोना महामारी पर आघात कय छाती कें कफ मुक्त करवा में अहि दुध के बहुत पैघ भूमिका अछि।
गुरीचक लत्ती, जे बारी झारी में अनेरे तिरस्कृत छल, आब अमृत तुल्य अछि, आयुर्वेदिक नामो अमृता अछि से आब बुझना गेल। गुरीचक काढ़ा जीवन दायिनी बनल अछि। मिथिलानी चुंकि शिक्षित छथि तैं विज्ञानक सहारा सेहो लय छथि आ विटामिन सी युक्त भोजन निर्मित करय छथि । धात्रींग, नेबो सन खटरस फल के बहुतायत में उपयोग कय अपन परिवार कें बुस्टप करय छथि, शारीरिक आ मानसिक दुनू प्रकारे।
निरंतर परिवारक कवच बनल मिथिलानी, समयक मारिक आगु कखनोंक, अशक्त सेहो भs जाई छथि। जखन, अथक परिश्रमक बावजूद परिवारक कोनो सदस्य कोरोनाक पाश में ओझरा जाई छन्हि। कखनो तँ घरे में कोरेंटाईन क कय रंग बिरंगक कोरोना विरोधी आहारक बल पर  कोरोनाक पाश सँ खींच कs बाहर कs लय छथि अपन स्वजन कें, तँ कखनो परिस्थिति एहन विकट भs जाई छन्हि कि ओ निढाल भs खसि पड़य छथि। लोकक क्षति जिनगी भरिक नोर बनि जाई छन्हि ।
कतेक दिन समय एहन विकराल रहत से नहि कहि। सम्पूर्ण जगत में हाहाकार अछि, जीवनक गाड़ी ठप्प भेल अछि। आब भगवतीक हाथ में छन्हि सब, ओ जहिया उबारथि। माँ भगवती सँ करबद्ध प्रार्थना अछि ‘हे जगदम्बा जल्दी उबारू ‘ ।

मधुबनीक बलाट गामक धिया रीना चौधरी सम्प्रति चेन्नई (तमिलनाडु) लग कलपक्कम (परमाणु ऊर्जा केंद्र) मे रहैत छथि. इतिहास विषय सं एम. ए. कयने छथि. मैथिली मे सृजन करैत रहैत छथि.

2 Comments

  1. kanchank1092@gmail.com'
    Kanchan Kanth Reply

    वाह! बहुत सामयिक आलेख 🌷🌷❤️

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