हिन्द महासागर के उत्तरमे
और गिरिराज के दक्षिणमे
पसरल इ विशाल भूमि
मात्र पृथ्वीक एक टुकड़ी नहि थिक
अपितु इ स्वयंमे सम्पूर्ण सृष्टि और ब्रम्हांडक सार के समेटने थिक
हजारों वर्षक
स्वर्णिम इतिहास के सहेजने
इ भारत वर्ष
ब्रम्हांडमे जहिना सूर्य चमकति छथि
तहिना अहि पृथ्वीपर
चमकि रहल अछि
अहि तीन अक्षर के देशमे
लोक तीनहि टा भाषा बजैत अछि
प्रेम, त्याग और समर्पण के भाषा
तीनहि रंगमे रंगल रहैत अछि
केसरिया, उज्जर और हरियर
अहि देशक संतान
एकरूपतामे विश्वास रखैत अछि
सुन्दरतामे नहि
राजस्थान के मरूभूमिसँ
सेहो लोक ओतबै प्रेम करैत अछि
जतेक कश्मीर के वादीसँ
महान सपूत और वीरांगना सभक जन्मस्थली अछि इ देवभूमि
जहि ठाम पंचतत्व के अपन आराध्य मानल जाइत अछि
वसुधैव कुटुंबकम्
सर्वधर्म समभाव के अवधारणा
राखल जाइत अछि
जं हजारों जन्मक सत्कर्मसँ
मानव शरीर भेटैत छैक
त’ लाखों जन्मक सत्कर्मसँ
भारत सम जन्मभूमि भेटैत छैक
तैं त’ अहि देश के अस्मिताक रक्षा हेतु
एकटा अबोध बच्चा सेहो
अपन सर्वोच्च बलिदान करबा सँ
पाछू नहि हटैत छैक