बंध में, निर्बंध में
चाहे साइतो जन्मक संबंध में,
मीतक परिहास में
युद्धक त्रास में
भक्ति में होता वा सुक्ति में
भोग में वा तृप्ति में
हारि गेल छै स्त्री
जी, सत्ते बड्ड दुर्बल छै स्त्री |
मायक आंचर सौं
बापक विरासत सौं
समाज के धियान सौं
पुरुषक सम्मान सौं
बुन्न बनि व्योम सौं
नीर जका नयन सौं
टघारल गेल छै स्त्री |
मूल्य के बजार बीच
शिकारी श्रृगाल बीच
स्वतंत्रता क खाइल में
कलंकि केर जाइल में
भूख में टोहि टोहि
चाम केरल सोहि सोहि
उघारल छै स्त्री
सत्ते बड्ड दुर्बल छै स्त्री |
प्रेम कहि तेजाब में
दहेजक अजाबि में
पौरुष क मोइह में
लालनक लिलोह में
नाकक बाइत में
निप्पट सुन्न रात में
जारल गेल छै स्त्री
सत्ते बड्ड दुर्बल छै स्त्री |
मुदा आउ
पक्ष एकटा आर देखा दी
स्त्री बलक् पाठ पढ़ा दी
अर्जुन आ कृष्णक हरण में
रावणक कुल संग मरण में
भीष्म के बाण-शैयाक शयन में
निस्तब्ध निछोर गगन में
अनुसूईया के सतीत्व में
सृष्टि के अस्तित्व में
समायल छै स्त्री |
कौरवक विनाश में
पांचाली के चीरहरण क त्रास में
रजिया के कटार में
लक्ष्मी बाई के हुंकार में
जौहरक विश्वास में
पन्ना-पन्ना इतिहास में
व्याप्त भेल छै स्त्री |
लव-कुश के राम सम्मुख
युद्ध के ललकार में
दुःशासन के छाती फाड़ैत
भीमक फुंफकार में
पापी पर प्रहार में
चंड-मुंड संहार में
बेकल छै स्त्री
कि अहां अखनो मानैछि
सत्ते बड्ड दुर्बल छै स्त्री ||