हमर रौदायल सन जिनगी केँ
छाह छी अहाँ,
हमर सभटा सेहन्ता आ मनोरथक
अकास छी अहाँ,
अहीं हमर इच्छाक कल्पतरु,
अहीं हमर पुष्प परिजात छी/
हे जनक,
हमर जीवनक फूलवारी केँ माली छी अहाँ,
सींचय छी हमरा नित्य प्रेम सँ
अहीं हमर स्वप्नक समुद्र छी,
अहाँ’केँ प्रेम अथाह अछि,
अहीं हमर संबल छी,
अहीं हमर शक्ति
हे पिता,
अहाँ बास करय छी हमर अंतर्मन मे,
अहीं सँ हमर अस्तित्व अछि