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दीपिका झा

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हिन्द महासागर के उत्तरमे
और गिरिराज के दक्षिणमे
पसरल इ विशाल भूमि
मात्र पृथ्वीक एक टुकड़ी नहि थिक
अपितु इ स्वयंमे सम्पूर्ण सृष्टि और ब्रम्हांडक सार के समेटने थिक

हजारों वर्षक
स्वर्णिम इतिहास के सहेजने
इ भारत वर्ष
ब्रम्हांडमे जहिना सूर्य चमकति छथि
तहिना अहि पृथ्वीपर
चमकि रहल अछि

अहि तीन अक्षर के देशमे
लोक तीनहि टा भाषा बजैत अछि
प्रेम, त्याग और समर्पण के भाषा
तीनहि रंगमे रंगल रहैत अछि
केसरिया, उज्जर और हरियर

अहि देशक संतान
एकरूपतामे विश्वास रखैत अछि
सुन्दरतामे नहि
राजस्थान के मरूभूमिसँ
सेहो लोक ओतबै प्रेम करैत अछि
जतेक कश्मीर के वादीसँ

महान सपूत और वीरांगना सभक जन्मस्थली अछि इ देवभूमि
जहि ठाम पंचतत्व के अपन आराध्य मानल जाइत अछि

वसुधैव कुटुंबकम्
सर्वधर्म समभाव के अवधारणा
राखल जाइत अछि

जं हजारों जन्मक सत्कर्मसँ
मानव शरीर भेटैत छैक
त’ लाखों जन्मक सत्कर्मसँ
भारत सम जन्मभूमि भेटैत छैक
तैं त’ अहि देश के अस्मिताक रक्षा हेतु
एकटा अबोध बच्चा सेहो
अपन सर्वोच्च बलिदान करबा सँ
पाछू नहि हटैत छैक

हमरा एखनहुँ मोन अछि

इसकूलक समय के

छब्बीस जनवरीक ओ परेड

जाहिमे कागतक बनल तिरंगा हाथमे ल’

भारत माता की जय

सुभाषचन्द्र बोस अमर रहे के नारा लगबति

गामक चौहद्दी नपैत छलहुँ

भगतसिंह और चंद्रशेखर आजाद पर

दस आखर बजैत छलहुँ

गर्व सँ सीना ऊंच केने

इंकलाब ज़िंदाबाद के जयघोष करैत छलहुँ

इन्दिरा गान्धी और सरोजिनी नायडू के नाम रटैत छलहुँ

 

आजादीक स्वर्णिम वर्षगांठ भ’ गेल छल तहिया

मुदा गाममे उच्च विद्यालय नहि

छिछिया बौआय क’ धी- बेटी कतेक पढ़ैत

सभ थोड़बे इन्दिरा गान्धी बनि जायत

नहि!

मुदा किछु ने किछु अवश्य बनैत

 

आजादीक जश्नमे डूमल अहि देश मे

कहां किनको फुरसति रहनि अहि दिस तकबाक

 

जाहि भारत के भविष्य सभ लेल

ओतेक संघर्ष सँ

आजादी हासिल कएल गेल

एतेक दशक बितलाक बादहु

कतेक भविष्य सभ

सड़क पर बिलटति

नोरे बिलखति

 

अहि देशक बेटी सभ

समुद्रक गहराइ सँ ल’ क’

अन्तरिक्ष केर ऊंचाइ तक गेल

राष्ट्रपति, प्रधानमन्त्री के संग

हरेक उच्च पदपर आसीन भेल

 

इ त’ भ’ गेल अहि देशक बेटी केर क्षमता

आजाद भारत के बेटीक

मुदा अहि क्षमता के बाधक बनल रहल

गुलाम सोचक कायरता

जे अहि देशमे हरेक वर्ष

लाखों के संख्यामे

बेटी सभक नाम परिवर्तित क’

निर्भया राखि दैत अछि

 

देश स्वतंत्र अछि

अभिव्यक्तिक आजादी अछि

मुदा कि अहि आजादीक लेल

लाखो माय अपन कोखि उजाड़ि लेलनि

हजारों विधवा अपन माथक सेनूर पोछि लेलीह

 

जाहि देशमे अनकर द्वारा कएल गेल अपमान

लोक नहि सहलक

ओतय अपनहि लोक सँ कएल अपमान

कोना सहि रहल अछि

इ उनटा गंगा

कोना बहि रहल अछि

 

आवश्यक अछि धैर्यक बान्ह के ढ़हब

 

लोक उठत

एक बेर और लड़त

अहि देशक बेटा नहि

केवल बेटी लड़त

अनका सँ नहि

केवल अपनहि सँ लड़त

जीतत

आ तहन होयत सम्पूर्ण विजय

पूर्ण आजादी

 

तहन अहि देशक बच्चा- बच्चा के सिखब’ नहि पड़त राष्ट्रगीत

ओकर शोणितक हर धारमे बहत

अपना देश लेल प्रीत

 

खिड़कीक पट्टा धेने
भरफोड़ीक सारी पहिरने
आंखिपर मुस्की दैत
ठोढ़ पर नोर समेटने
ब’र के विदा करैत छलीह नवकनियाँ

आठे दिन पहिने त’ हाथ धेने रहथि
कहने रहथि कोहबरेमे
सिपाहीक कनियाँ भेलहुँ अहाँ
किछु वचन दीय’

हम दुश्मनसँ लड़ब
त’ अहाँ ओकर प्रभावसँ
हम समयसँ लड़ब
अहाँ ओकर बहावसँ
वचन दीय’
कि अहि आंखिमे नोर नहि लायब
जहिखन हम सीमान पर जूझब
अहाँ हमर शक्ति बनि जायब

हमर-अहाँक बस मोनक मेल
शरीर त’ सीमा के अर्पण अइ
प्रेम कही या कही समर्पण
ओतहि हमर जीवन-मरण अइ।

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